नई दिल्ली | दिल्ली के राजेन्द्र नगर इलाके के Rau’s IAS Study Circle में 1 छात्र और 2 छात्राएँ बेसमेंट में बारिश और सीवर का पानी भरने के कारण दम घुटने से मर गए। यह घटना फिर से इस बात को रेखांकित करती है कि सरकार और प्रशासन छात्रों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं हैं। UPSC कोचिंग संस्थानों की लापरवाही और सरकार की उदासीनता की वजह से छात्रों की जान जोखिम में है। यह स्थिति न केवल छात्रों और उनके परिवारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। सरकार को इस दिशा में तुरंत कदम उठाने चाहिए और कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था की नियमित जांच करनी चाहिए। सरकार की निष्क्रियता और प्रशासन की लापरवाही छात्रों के भविष्य और जीवन दोनों पर सवाल खड़े करती है। यह समय है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी को समझे और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
दिल्ली में UPSC कोचिंग के लिए आने वाले छात्रों की सुरक्षा को लेकर सरकार की नाकामी पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। पिछले साल संस्कृति IAS की बिल्डिंग में आग लगने की घटना को ही देख लें। छात्रों ने रस्सियों के सहारे जान बचाई, यह न सिर्फ उनकी हिम्मत बल्कि प्रशासन की नाकामी को भी दर्शाता है। कुछ दिन पहले पटेल नगर में एक छात्र की बिजली के खंभे से करंट लगने से मृत्यु हो गई। यह घटना प्रशासन की लापरवाही का एक और उदाहरण है।
ऐसा अक्सर देखा गया है कि जब कोई इंसान घर बनाता है तो उसे सभी नियमों का पालन करने की हिदायत दी जाती है और पुलिस, निगम व अन्य विभाग के अधिकारी भी कंस्ट्रक्शन के समय बार-बार आकर उसके घर पर नियमों का मुआयना करते हैं। परन्तु जब कोई कमर्शियल बिल्डिंग बन रही होती है तो कोई भी अधिकारी नहीं आता और किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता। यही कारण है कि दिल्ली में ख़ासकर कमर्शियल कंस्ट्रक्शन के समय किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता। और सूत्रों की मानें तो क्षेत्रानुसार सभी विभागों के रेट तय हैं किसी भी कमर्शियल बिल्डिंग के निर्माण के लिए इसिलिए वहाँ कभी भी विभाग का कोई अधिकारी नहीं पहुँचता। आज अगर दिल्ली की सभी कमर्शियल बिल्डिंग्स की सुरक्षा जाँच सही तरीक़े से की जाए तो शायद 90 प्रतिशत से भी ज़्यादा बिल्डिंग्स ऐसी मिलेंगी जिनमें नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। फ़िर चाहे वो कोचिंग इंस्टीट्यूट हों, या होटल्स, ऑफिस कॉम्प्लेक्सिस हों या मॉल्स।
प्रशासन से उम्मीद की जाती है कि वो नियमों का पालन करे भी और करवाए भी परंतु वह दोनों ही जगह फेल नज़र आता है।