गुरू पूर्णिमा पर भारत की दिव्य गुरू परंपरा को नमन !
परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में ओहियो के कॉलेज कॉर्नर में ह्यूस्टन वुड लॉज और कन्वेंशन सेंटर की खूबसूरत झील के पावन तट पर आयोजित चार दिवसीय गुरु पूर्णिमा रिट्रीट का आज समापन हुआ। इस अवसर पर में अनेक देशों से आये भक्तों ने पूज्य स्वामी जी के श्री चरणों में जीवन के आध्यात्मिक उत्थान व आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य जी से लेकर भारत की दिव्य समृद्ध गुरू परम्परा को नमन! गुरु पूर्णिमा अर्थात गुरू के प्रति कृतज्ञता व समर्पण का दिव्य पर्व। गुरू, ग्रंथों के साथ जीवन की ग्रंथियों को भी खोल देते हैं। सभी के जीवन में दिव्य प्रकाश का अवतरण हो और अन्तःकरण ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित व आलौकित हो। आज का दिन दिव्य, मार्गदर्शक ज्योति के सम्मान का प्रतीक है जो हमारे भीतर ज्ञान के प्रकाश को प्रज्वलित करती हैं।
गुरू पूर्णिमा हमें गुरू के पद्चिन्हों पर चलने का संदेश देती है। गुरू पूर्णिमा प्रतिवर्ष हमंेे ज्ञान, श्रद्धा और सद्बुद्धि को आत्मसात करने का बोध कराती है। गुरू, ज्ञान के दाता हैं। वैसे आज के वैज्ञानिक युग में हमारे पास संचार के अनेक साधन हैं। यथा हमारे पास गुगल है; बड़ी-बड़ी लाइब्रेरियां है, सोशल मीडिया है और कई अन्य साधन हैं परन्तु यह सब हमें जानकारियां प्रदान करते हैं ज्ञान नहीं, ज्ञान तो केवल गुरू ही देेते हैं; गुरू, शिष्य के जीवन में ज्ञान का दीप प्रज्जवलित करते हैं। आईये गुरू की शरण में जायंे, जीवन का उद्देश्य खोजें और श्रेष्ठ मार्ग पर बढ़ते रहें।